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Friday, June 12, 2009

मुझे माफ करें।

नीरवजी मैं यहीं हूं। गर्मी में सूखा नहीं हूं। थोड़ अपने गाव चला गया थाष इसलिए ब्लृग पर नहीं आ सका था मुझे माफ करें। ऱराजमणीजी और मकबूलजी तथा अरविंद पथिक सभी को बिस्मिलजी की सालगिरह मुबारक हो। सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
देखना है ज़ोर कितना बाजुए कातिल में है।
भगवान सिंह हंस

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