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Thursday, October 14, 2010

मैं उनका धर्म छीन लेता हूँ

श्री प्रशांत योगीजी को बधाई, धर्म की यथार्थता बताने के लिए। श्री योगीजी द्वारा धर्म का विश्लेषण बहुत अच्छा लगा कि मैं दीक्षा के लिए आये हुए आदमिओं का बाबाओं द्वारा थोपा हुआ धर्म छीन लेता हूँ ----और वे आदमी बनकर निकास द्वार से निकल जाते हैं। यह उनका धर्म के प्रति वैशिष्ठ्य है और अन्धानुकरनीय लोगों की अन्तः चेतना को जागृत करके उनको धर्म के यथार्थ मार्ग पर लाना है। यह उनका यथार्थ का दिव्य दर्शन बहुत की सुनहरा लगा। इसके लिए मैं आपको पुनः बधाई देता हूँ। मेरे नमन स्वीकार करें। जय लोक मंगल।
योगेश विकास

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