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| चाणक्य |
निर्दोषता एवं नूतनता में
डूबकर ध्यान करें
एकाकी होकर ध्यान करें। खो जाएं और इतना याद रखने की भी कोशिश न करें कि आप कहां थे। अगर आप इसे याद रखने की कोशिश करते हैं तो यह याद उस चीज की होगी जो मर चुकी है। और अगर आप इसकी स्मृति को पकड़े रहते हैं तो आप पुनः कभी एकाकी नहीं हो पांएगे। अतः आप अनंत एकांत में,प्रेम के सौंदर्य में,निर्दोषता एवं नूतनता में डूबकर ध्यान करें। तब एक ऐसे आनंद का आविर्भाव होता है जो अक्षय और अविनाशी है।
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