यह मंच आपका है आप ही इसकी गरिमा को बनाएंगे। किसी भी विवाद के जिम्मेदार भी आप होंगे, हम नहीं। बहरहाल विवाद की नौबत आने ही न दैं। अपने विचारों को ईमानदारी से आप अपने अपनों तक पहुंचाए और मस्त हो जाएं हमारी यही मंगल कामनाएं...
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Thursday, October 14, 2010
सुंदर-सुंदर
नीलमजी की गजल बढ़िया लगी। और भ्रष्टाचार जरूरी है लेख अच्छा लगा। अनिल कुलश्रेष्ठजी ने फोटो अच्छे डाले हैं। हंसजी का भरत चरित हमेशा की तरह बढ़िया है। दया निर्दोषी की पाती भी बहुत सुंदर है। मकबूलजी की उन्होंने अच्छी खोज-खबर ली है। मधु चतुर्वेदी
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