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Thursday, April 26, 2012

आत्ममुग्ध लिलीपुटों के बीच

सूरदास और शंकराचार्य
आज पद,पुरस्कारऔर पारिश्रमिक के लिए लार टपकाते हुए कथित रचनाकारों के बोझ से कसमाते और चरमराते इस भारतवर्ष में भक्ति के मार्ग से प्रभु से साक्षात्कार करनेवाले महाकवि सूरदास और ज्ञान के मार्ग से प्रभु का वरण करवेवालेआदि शंकराचार्य का आज अवतार-दिवस है। लेकिन वो कोई सांसद या मंत्री तो क्या नगरपालिका के चपरासी की हैसियत भी नहीं रखते इसलिए छद्म बुद्धजीवियों को क्यों उनकी याद आने लगी। मैं इन दोनों का स्मरण कर आप सभी के प्रति एक सात्विक अपराध खुलेआम कर रहा हूं।
पंडित सुरेश नीरव

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