Search This Blog

Tuesday, April 24, 2012

वह आंकड़े ही खाता है आंकड़े ही बोलता है


हास्य-व्यंग्य कविता-
आंकड़े-दर-आंकड़े
भाइयो हमारे देश में आदमी जब भी पैदा होता है
तब वह आंकड़ों में हंसता और आंकड़ों में रोता है
जी हां वह आंकड़े ही खाता है आंकड़े ही बोलता है
दुनिया की हर बात को आंकड़ों से ही तौलता है
क्योंकि उसके पैदा होते ही
देश की जनसंख्या का आंकड़ा ऊपर की ओर मुड़ जाता है
और पिता की आमदनी का आंकड़ा थोड़ा और सिकुड़ जाता है
इसके बाद जब वह बड़ा होता है अपने पैरों पर खड़ा होता है
और जब पढ़ने के लिए स्कूल जाता है
तो अनजाने में ही निरक्षरता के आंकड़े को घटाता है
जीहां भाईसाहब हमारा वित्तमंत्री भी तो
आंकड़ों की टॉफिया खिलाकर विश्वबैंक को पटाता है
ये आंकड़ा है बड़ा चुलबुला कभी गरीबी की रेखा के नीचे सोता है
तो कभी गरीबी की रेखा के ऊपर टहलता है
हमारे देश के हर आदमी का दिल इन आंकड़ों से ही तो बहलता है
सच कहूं श्रीमान,हमारा ये हिंदुस्तान
जहां चाहे मजदूर हो या किसान, हिंदू हो या मुसलमान
रहीम हो या रहमान सब आंकड़े ही ओढ़ते हैं आंकड़े ही बिछाते हैं
आंकड़े ही पीते हैं आंकड़े ही खाते हैं
हर आदमी आंकड़े देखकर दुखी है आंकड़े देखकर सुखी है
बाईगॉड ये देश कृषिप्रधान देश नहीं बल्कि आंकड़ामुखी है
आंकड़े भी अलग-अलग डिजायन के हैं
कुछ व्हिस्की के हैं कुछ वाइन के हैं
अपहरण के आंकड़े अपराध के आंकड़े
दंगों के आंकड़े फसाद के आंकड़े
सूप के आंकड़े सलाद के आंकड़े
फसल के आंकड़े खाद के आंकड़े
विरह के आंकड़े याद के आंकड़े
आंकड़ों का खेल आज बड़ा सुपर हिट है
एक बात तो बताइए आपका आंकड़ा किस के साथ फिट है
यह सुनकर हमारे एक मित्र खिसया गये दूसरे मित्र गुस्सया गए
बोले आंकड़ों का आलाप ज्यादा मत तानो
अपने घर में रहो तो जानो
जीहां भाई साहब लोकतंत्र में
आंकड़ों का ही करिश्मा है आंकड़ों का ही नूर है
गौर से देखिए आंकड़ा करिश्मा कपूर है
अब देखिए श्रोताओं को
कैसे मरे से पड़े थे झट से जिंदा हो गए
करिश्मा कपूर का नाम क्या सुना खुद गोविंदा हो गए
ये आंकड़ा किसी के लिए वरदान है किसी के लिए बला है
किसी के लिए ये आंकड़ा जूही चावला है
एक दिन अचानक दीवारों पर
सरकार द्वारा उपलब्धि के आंकड़ों के पोस्टर लग गए
विरोधी बेचारे सिर पर पैर रखकर भग गए
आंकड़ों की कसरत जारी है कसकर
अब एक नजर डालिए आज के बज़ट पर
मंगलभवन अमंगल हारी जय वित्तमंत्री जय बजट बिहारी
जनता के प्राणों पर भारी वाह क्या बजट बनाया है
लगता है कि बजट नहीं जनता को आंकड़ों का चूरन चटाया है
इन आंकड़ों के चक्कर में आदमी का हाल इतना खस्ता है
कि दारू मंहगी मगर चरित्र सस्ता है
इसलिए कहता यही मैं आज भारत-भारती
आंकड़ों की आर्यजन गाएं निरंतर आरती
ओम आंकड़ाम यजा महे आंकड़ाम वृ्द्धिवर्धनम
ओम आंकड़ाय नमः ओम झाखड़ाय नमः
ओम भाखड़ाय नमः नमो आकड़ाय नमो नमः।
पंडित सुरेश नीरव

No comments: