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Thursday, May 3, 2012

SHARDHANJALI

माँ  तो माँ है ,माँ  तो माँ है ,
माँ के साये में सारा जहाँ  है ,
माँ बचपन की किलकारी में ,
माँ योवन  की फुलवारी में ,
सुख  में माँ है ,दुःख  में माँ है ,
आशा के हर मुख  में माँ  है 
माँ दीवाली का दीपक  है ,
माँ  होली  की  रौनक  है 
माँ  सावन  का    झूला  है ,
माँ  को  कब  कोइ  भूला  है ,
ईद  की  सैवेइयो  में माँ है ,
तीजो  की गुन्झयो  में माँ  है ,
माँ ही  धरा  है माँ ही  गगन  है ,
माँ के साये में हर शख्स मगन है ,
जो माँ को  भूले  रहते  है ,
जीवन से रूठे  रहते  है ,
माँ तो  जीवन  की  शक्ति  है ,
माँ  के चरणों  में भक्ति  है ,
है  जीवन  में गर कुछ  पाना ,
माँ  को  कभी  नहीं  बिसराना ।। 

            रजनी कान्त "राजू "

श्री अरुण  सागर जी की माता जी के 
देवलोक  गमन  पर सभी मित्र  और 
सहयोगी  शोक  में सम्मिलित  है ।
मेरी नम  आखों  से श्रधांजलि स्वरूप 
कुछ  पंक्तिया प्रस्तुत  है ।
               रजनी कान्त राजू 

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