माँ के साये में सारा जहाँ है ,
माँ बचपन की किलकारी में ,
माँ योवन की फुलवारी में ,
सुख में माँ है ,दुःख में माँ है ,
आशा के हर मुख में माँ है
माँ दीवाली का दीपक है ,
माँ होली की रौनक है
माँ सावन का झूला है ,
माँ को कब कोइ भूला है ,
ईद की सैवेइयो में माँ है ,
तीजो की गुन्झयो में माँ है ,
माँ ही धरा है माँ ही गगन है ,
माँ के साये में हर शख्स मगन है ,
जीवन से रूठे रहते है ,
माँ तो जीवन की शक्ति है ,
माँ के चरणों में भक्ति है ,
है जीवन में गर कुछ पाना ,
माँ को कभी नहीं बिसराना ।।
रजनी कान्त "राजू "
श्री अरुण सागर जी की माता जी के
देवलोक गमन पर सभी मित्र और
सहयोगी शोक में सम्मिलित है ।
मेरी नम आखों से श्रधांजलि स्वरूप
कुछ पंक्तिया प्रस्तुत है ।
रजनी कान्त राजू
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