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Monday, June 4, 2012

उनको प्रणाम
















उनको प्रणाम जो बन उल्का टूटे कायर अंग्रेजों पर
उनको प्रणाम जो लेट गये भालों पर तीखे  नेजों पर
उनको प्रणाम जिनके डर से थर-थर-थर कांप उठा लंदन
उनको प्रणाम जिनके भय से कर उठे फिरंगी थे क्रंदन
उनको प्रणाम जो गहन तिमिर में जले स्वयं बनकर मशाल
उनको प्रणाम जिनके गुस्से से सिहर उठा था महाकाल
हाथों में शीश लिये अपने,वे चढे वतन के चरणों पर
दुश्मन पर ऐसे झपटे वे ज्यों सिंह झपटता हिरणों पर
उनको प्रणाम अर्पित करते तन-मन रोमांचित होता है
जडता कपूर सी उड जाती स्फुरण बाहु में होता है
अनगिनत दृश्य,अनगिनत चित्र,अनगिनत कथायें जाग रहीं
वह देखो वीरों से डरकर अंग्रेजी फौजें भाग रहीं
बैरकपुर से  मेरठ  तक    मंगल पांडे हुंकार उठे
गुस्से से लाल रूद्र  मानो तप बिसरा कर जाग उठे
जागे नाना तात्या जागे जागी भारत की तरूणाई
जागा है बूढा शहंशाह ,   जागी रानी लक्ष्मीबाई
जागा है अवध ,रूहेलखंड दिल्ली भी जागी है भाई
थके-सुप्त-आहत भारत में फिर से नई ऊर्जा आई
बेगम हज़रत गुस्से को     सह सकी नहीं रेज़ीडेंसी
फोर्टविलियम में छटपटा रहे वह देखो हिज़ एक्सीलेंसी
वो भाग रहा है मेटकाफ बुरका ओढे औरत बनकर
पूरा भारत है जाग उठा ,वह खडा हो गया है तनकर
है उधर सिंधिया भाग रहा सह सका नहीं रानी का वार
जा छिपा आगरे में कायर लेकर निज-हिय पर गहन भार
भूखा -प्यासा लारेंस मरा , मर गया केज़ गोली खाकर
मर गये बसानो ,मैक्लीन मौलवी के डर से घबराकर
नरपत नाहर बनकर टूटा उड गये होप के तुच्छ प्राण
ले कुमुक पहुंच पाता कोलिन ज़नरल पेनी का हुआ काम
सिब्बाल्ड ,ऐलेक्ज़ेंडर भागे लो भाग गया है मैकेज़ी
रूहेलखंड की धरती से मिट गया राज सब अंगरेजी
आरा में बाबू कुंअर सिंह ललकार रहे ,हुंकार रहे
वो उधर रिवाडी में तुलाराम गिन-गिन के फिरंगी मार रहे
दिल्ली में लडते बख्त खान ,बैसवारा में बेनीमाधो
कह रहे कानपुर में नाना अंग्रेजों अब बिस्तर बांधो
हर तरफ जल रही क्रांति ज्वाल,इस प्रखर ज्वाल को शत प्रणाम
इन लपटों को निज़ प्राणों से प्रज्जवलित के गये शत अनाम
इस महायुद्द के साक्षी उस बेबस दरवाजे को प्रणाम
बर्बरता नील की झेल गये उन वृक्षों गांवों को प्रणाम
इन प्रणाम के बोलों में पीढी कृतज्ञता बोल रही
जो रक्त से तुमने सींची थी आज़ाद सभ्यता बोल रही
लहराता तिरंगा कहता है,    ना भूले हैं, ना भूलेंगे
तव प्रेरणा से हम प्रगति शिखर शीघ्रातिशीघ्र ही छू लेंगे
इस ध्वज को जिन्होने लहराया उनकी स्मृति को शत प्रणाम
भावुक प्रणाम,शत शत प्रणाम,शत शत प्रणाम------
------------------------------अरविंद पथिक

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