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Saturday, September 18, 2010

आज तो ब्लाग पर एक नया नूर है

जय लोकमंगल जय लोकमंगल जय लोकमंगल जय लोकमंगल जय लोकमंगल जय लोकमंगल

जयलोकमंगल का नयारूप
सुरेश जी जो लोक मंगल को नया रूप दिया है वह बहुत अच्छा है । आशा है यह नए रूप में पहले से ज़यादा लोकप्रिय होगा और लोगों के दिलों में घर कर जाएगा । मेरी ओर से बहुत सारी शुभकामनाए और ढेरों बधाई स्वीकार करें ।

आज कल कार्य स्थल पर काम का दंगल चल रहा है। इसी कारण लोकमंगल पर नज़र नहीं आ रहा हूँ । खैर समय पाते ही फिर से सक्रीय हो कर रंग दिखा दूंगा ।

फिलहाल एक ग़ज़ल आप सब के लिए पश है :-

अंधेरों में नया सूरज उगाने का इरादा है
नए रंगों में हर मंज़र सजाने का इरादा है


जो कहते हैं कि बदहाली जहां की दूर कर देंगे
अब उनके कौल को आजमाने का इरादा है


विरासत में मिली हाँ को अदावत जो बुजुर्गों से
हमारा उस विरासत को मिटाने का इरादा है


तुम्हारा क्या इरादा है ,ये तुम जानो ये तुम सोचो
हमारा तो तुम्हे अपना बनाने का इरादा है

राजमणि

Posted by Rajmani at 12:15 AM 0 comments Links to this post


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