Search This Blog

Friday, May 8, 2009

नींद से आँख खुली है अभी देखा क्या है

नींद से आँख खुली है अभी देखा क्या है
देख लेना अभी कुछ देर में दुनिया क्या है।

बाँध कर रखा है किसी सोच ने घर से हमको
वरना दरो-दीवार से रिश्ता क्या है।

रेत की, ईंट की, पत्थर की हो या मिटटी की
किसी दीवार के साये का भरोसा क्या है।

अपनी दानिश्त में समझे कोई दुनिया शाहिद
वरना हाथों में लकीरों के इलावा क्या है।
शाहिद कबीर
प्रस्तुति- मृगेन्द्र मकबूल

No comments: