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Wednesday, July 22, 2009

प्रचारों से दूर


जो प्रचारों से दूर रहते हैं
इश्तिहारों से दूर रहते हैं ।
पेड़ का हो या एक पत्ते का
हम सहारों से दूर रहते हैं ।
-राजमणि

1 comment:

Dr. Ravi Srivastava said...

सचमुच में बहुत ही प्रभावशाली लेखन है... वाह…!!! वाकई आपने बहुत अच्छा लिखा है। आशा है आपकी कलम इसी तरह चलती रहेगी बधाई स्वीकारें।

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