मित्रों अरसे बाद आपसे मुखातिब हो पा रहा हूं।कारण नीरव जी कि समस्याोम से मिलते जुलते ही है।लोकमंगल पर तमाम नई जानकारियां ,नये मित्र पाकर मन बाग बाग हो गया।सबसे पहले तो अरविंद चतुर्वेदी को डा० बन जाने की बधाई।बहुत अच्छी रचनाएं लोकमंगल पर हैं।अभी सुप्रसिद्द बाल साहित्यकार डा नागेश पांडे संजय का गीत संग्रह तुम्हारे लिए पिछले दिनो प्रकाशित हुआ ।एक गीत इस संग्रह से प्रस्तुत है----
ह्रदय की नगरिया तुम्हारे लिए है
यहां तुम रहो जी निःसंकोच होकर
यहा की सुप्यारि दुलारी तुम्ही हो
वरो जो भी चाहो, करो जो भी चाहो
समझ लो कि सर्वाधिकारि तुम्ही हो
नही कुछ कहुंगा ,सभी कुछ सहूंगा
कि जीवन डगरिया तुम्हारे लिए है
बङे ही जतन से गढी शब्द माला
अगर ठीक समझो तो गलहार कह लो
पहन लो इसे तो अहोभाग्य होगा
किसी सिरफिरे का इसे प्यार कह लो
कदाचित तुम्हे तृप्ति का सौख्य दे दे,
सृजन की गगरिया तुम्हारे लिए है
1 comment:
डॉ पाण्डे का गीत पढ़वाने का आभार.
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