यह मंच आपका है आप ही इसकी गरिमा को बनाएंगे। किसी भी विवाद के जिम्मेदार भी आप होंगे, हम नहीं। बहरहाल विवाद की नौबत आने ही न दैं। अपने विचारों को ईमानदारी से आप अपने अपनों तक पहुंचाए और मस्त हो जाएं हमारी यही मंगल कामनाएं...
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Thursday, September 3, 2009
आपके मुद्दे कहां हैं?
मुनीन्द्र नाथ चतुर्वेदी साहब आप नए मकान में पहुंचकर क्या लोकमंगल को भूल गए हैं। आपके मुद्दे कहां हैं? कुछ हो जाए...पं. सुरेश नीरव
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