यह है इंदौर कंपोस्ट विधि
९ फुट लंबा, ५ फुट चौड़ा और ३ फुट गहरा गड्ढा खोद कर उसमें पौधों के अवशेष, खरपतवार, घास-भूसे की ७-८ सेंटीमीटर मोटी तह बिछाई जाती है। इसके उᆬपर गोबर और गौमूत्र मिश्रित मिट्टी की ५ सेमी परत डाली जाती है। इसे गीला करने के लिए पानी और गौमूत्र डाला जाता है। भराई तथा नम करने की प्रक्रिया तब तक जारी रहती है जब तक गड्ढे में एक फुट ऊँची परत न बन जाए। अंत में एक परत मिट्टी से सने गोबर की बिछाना होती है। गड्डे में भरे जाने वाले पदार्थों को मिश्रित करने के लिए तीन बार उलट-पलट करना होता है। पहली पलटाई १० से १५ दिन बाद व दूसरी व तीसरी ३० व ६० दिन में करते हैं। बीच-बीच में पानी का छिड़काव किया जाता है। अंत में बना पदार्थ काले भूरे रंग का बारीक चूर्ण होता है। तीन से चार महीने में उच्च गुणवत्ता का जैविक खाद मिल जाता है।कृषि कॉलेज में लगा वह बोर्ड जिस पर महात्मा गाँधी के आगमन की तस्वीर है।
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