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Tuesday, March 2, 2010

अजनबी

दीप्ति नवल की कविताएं
प्रस्तुतिःमधु मिश्रा

कल ताजमहल के बारे में आदरणीय नीरवजी ने जो जानकारी ब्लॉग को उपलब्ध कराई है वो यकीनन बेशकीमती है। मैं उन्हें इस शोधपरक काम के लिए बधाई देती हूं। और उम्मीद करती हूं कि भविष्य में भी ऐसी सामग्री पढ़ने को मिलती रहेगी। आज पेश कर रही हूं दीप्तिनवल की एक रचना। दीप्ति का काव्य संग्रह लम्हा-लम्हा बहुत मशहूर हुआ था। और उन्होंने कई फिल्मों में अभिनय भी किया था।

अजनबी रास्तों पर
पैदल चलें
कुछ न कहें

अपनी-अपनी तन्हाइयाँ लिए
सवालों के दायरों से निकलकर
रिवाज़ों की सरहदों के परे
हम यूँ ही साथ चलते रहें
कुछ न कहें
चलो दूर तक

तुम अपने माजी का
कोई ज़िक्र न छेड़ो
मैं भूली हुई
कोई नज़्म न दोहराऊँ
तुम कौन हो
मैं क्या हूँ
इन सब बातों को
बस, रहने दें

चलो दूर तक
अजनबी रास्तों पर पैदल चलें।

दीप्ति नवल


जन्म: 22 अगस्त 1957

उपनाम
जन्म स्थानअमृतसर, पंजाब, भारत
कुछ प्रमुख
कृतियाँ

विविधआप प्रसिद्ध सिने तारिका भी हैं।
जीवनीदीप्ति नवल / परिचय

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