
ये फोटो किसकी है, जरा पहचानिए। कितनी खूबसूरत पिक्चर है! जब फोटो इतनी सुन्दर है तो जिनकी ये फोटो है वे कितने सुन्दर होंगे। आप इसीसे आइडिया लगा सकते हैं। पर आपसे एक बात पूछता हूँ कि ये जनाव कांग्रेश के अधिवक्ता के रूप में भाषण दे रहे हैं या जज के सामने खड़े होकर वहस कर रहे हैं या किसी कवि सम्मलेन में काव्यपाठ पढ़ रहे हैं। मुझे तो इनमें तीनों ही रूप नज़र आ रहे हैं। ये एक नेता भी हैं जो उत्तर प्रदेश में कांग्रेश पार्टी के अधिवक्ता के रूप में प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। इसलिए ये पिक्चर एक मजे हुए नेता को प्रदर्शित करती है। दूसरे किसी कोर्ट में जज के सामने ये वकील के रूप में अपना पहलु सच्चाई से रख रहे है। तीसरा किसी राष्ट्रीय कवि सम्मलेन में जहाँ शब्दऋषि पंडित सुरेश नीरव मंच की अध्यक्षता कर रहे हैं, ये अपना काव्यपाठ जो सच्चाई की उंचाईयों की दीवारों छू रहा हो, पढ़ रहे हैं और जिसको सुनकर नीरवजी मुस्करा रहे होंतथा श्रोताओं की तालियों की आवाज गगनचुम्बी हो रही हो। तो ऐसे व्यक्ति और कोई नहीं सिर्फ रजनीकांत राजू ही हो सकते हैं जो अपने तीनों रूपों में दिखाई देते हैं। जहाँ वे एक अच्छे नेता हैं वहीँ वे एक अच्छे वकील भी हैं और जहाँ वे एक अच्छे वकील हैं तो वहीँ वे एक विख्यात कवि भी हैं। उनके तीनों रूपों में सत, रज और तम का विवेचन बड़ी बारीकी से देखने को मिलता है जो हमें सतपथ की ओर अग्रसर करता है। रजनीकांत राजूजी अपने तीनों ही रूपों में एक सच्चाई का पाठ पढ़ाते हैं। उनके दिल में दया भी है जो बड़ी जल्दी द्रवित होकर वे दया के साथ बड़े प्रेम से बतियाते हैं। धन्य है उनका चाँद-सी कान्त वाला कलेवर। हमें भी ऐसे व्यक्तित्व का सान्निध्य मिल रहा है। हम बड़े सौभाग्यशाली हैं। मेरे प्रणाम स्वीकार करें। जय लोकमंगल। भगवान सिंह हंस
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