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Tuesday, September 7, 2010

हुक्मरानों को शर्म नहीं आती।

आदरणीय नीरवजी,
आपने बालमजदूरी पर जो फोटोफीचर भेजा है,वह बड़ा मार्मिक है। सच है हमारे हुक्मरानों को शर्म नहीं आती। और वे भाषण देने से कभी बाज नहीं आते। आपने एक हकीकत बेनकाब की है। बधाई..
प्रेमलता नीलम

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