Search This Blog

Monday, October 11, 2010

जय लोक मंगल के मार्तंड

आदरणीय पंडित सुरेश नीरवजी जय लोक मंगल के मार्तंड हैं जिनका प्रकाश त्रिभुवन में ज्योतिर्यमय है चाहे कोई भी क्षेत्र क्यों न हो। उसी मार्तंड के शाब्दिक प्रकाश का फलक पद्य ,गद्य, विभिन्न साहित्यिक संरचनाएं, फ़िल्मी दुनिया, खेल गाँव, राजनीति का छलकता कलश, ठेकेदार का मुखौठा, गुलामी की रस्सी , अणु से परमाणु तक, देह से मृत्यु तक आदि तमाम आयामों को द्रष्टिगोचर कर रहा है जो श्री नीरवजी के जीवट का आकार अद्वितीय एवं अतुल्य है। यह उनकी एक महती उपलब्धि हैजिसको सारा विश्व देख रहा है। मैं हंस उनकी भूरि-भूरि प्रशंसा करता हूँ और उनको बधाई भी देता हूँ उनकी इन दुर्लभ ज्ञानवर्धक जानकारियों को खंगोलने के लिए। नमन।
श्रद्धेय डा० राम गोपाल चतुर्वेदी को मेरे सादर प्रणाम। आपको बहुत- बहुत बधाई एक प्रासंगिक लेखन के लिए। मेरा महाकाव्य आपको अच्छा लगा, इसके लिए मैं ह्रदय से आपका आभार व्यक्त करता हूँ
आदरणीय डा० भगवान स्वरूप चैतन्य जी मेरे नमन स्वीकार करें। आपकी पोस्ट बहुत अच्छी लगी। आपको बधाई।
डा० अनिल कुलश्रेष्ठजी का रंग-बिरंगे पुहुपों से सँजा जय लोक मंगल मुझे बहुत ही अच्छा लगता है । आपको बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। मेरा भरत महाकाव्य आपको पसंद आया। मैं आपका हार्दिक आभार व्यक्त करता हूँ।
प्रदीप पंडितजी की टिप्पणी ने तो मन खुश कर दिया। उनको भी बधाई देता हूँ ।
ह्रदय ही सबसे बड़ा तीर्थ है, के लिए मैं मधु मिश्राजी को बहुत-बहुत बधाई ।
कर्नल विपिन चतुर्वेदीजी को उनकी प्रकाशित होने जा रही पुस्तक के लिए बधाई। नमन।
डा० मधु चतुर्वेदीजी का भी मैं हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ , उन्हें भी मेरा भरत चरित्र महाकाव्य भाषा और कथ्य की द्रष्टि से पसंद आया। आपको मैं अच्छे लेखन/व्यंग के लिए बधाई देता हूँ। नमन ।
आज कल मेरे आत्मीय श्री अरविन्द पथिक भी नेट पर खूब लिख रहे हैं, उनको यह समय निकालने के लिए बहुत-बहुत बधाई।
ब्लॉग पर श्री रजनीकांत राजू जी दिखाई नहीं दे रहे हैं , जल्द ब्लॉग पर मिलिए।
अब तो जय लोक मंगल को खूबसूरत बनाने में डा० प्रेमलता नीलम भी खूब महनत कर रही हैं, ढ़ेर सारी बधाई।
प्रकाश प्रलय जी के कटपीस बहुत मन भाये, बधाई।
दया निर्दोषीजी के लेख बहुत पसंद आये मन खुश हो गया। बहुत-बहुत बधाई।
-भगवान सिंह हंस

No comments: