ये तेरी दास्तां है और मैं हूँ,
सुलगता सा समां है और मैं हूँ!
मेरे पर कट के ऊंचा उठा है,
ये ज़ालिम आसमां है, और मैं हूँ!
लगे हर सू यहां, यादों के जाले,
ये उजड़ा – सा मकां और मैं हूँ!
झुकाना सर मुझे तू ही सिखा दे
ये तेरा आस्तां है, और मैं हूँ!
पैरों में कुछ कीलें ठुकी हैं,
गुज़रता कारवां है, और मैं हूँ!
मेरे विश्वास की गागर है कच्ची.
ये बुझता सा अबां है और मैं हूँ!
तू चाहे तो दिखा दूँ जीत कर मैं,
मुक़ाबिल ये जहां हैं, और मैं हूँ!
मधु कर ले यकीं तो सच लगे है,
ये झूठा सा बयां है, और मैं हूँ!
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