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Friday, November 26, 2010

मुक्तक

कोरे कागज़
पे दस्तखत किये ।
कितने खुलकर
यहा पर जिए ....
वक्त के हाथ मे
बिक गये ,
जिस तरह चाहिए
हो लिए .......
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प्रकाश प्रलय .कटनी
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