यह मंच आपका है आप ही इसकी गरिमा को बनाएंगे। किसी भी विवाद के जिम्मेदार भी आप होंगे, हम नहीं। बहरहाल विवाद की नौबत आने ही न दैं। अपने विचारों को ईमानदारी से आप अपने अपनों तक पहुंचाए और मस्त हो जाएं हमारी यही मंगल कामनाएं...
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Friday, November 26, 2010
मुक्तक
कोरे कागज़ पे दस्तखत किये । कितने खुलकर यहा पर जिए .... वक्त के हाथ मे बिक गये , जिस तरह चाहिए हो लिए ....... ................................ प्रकाश प्रलय .कटनी ...........................................
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