पंडितजी कल आपको दूरदर्शन पर देखा। बहुत अच्छी ग़ज़ल पढ़ी थी आपने और संचालन भी बहुत उच्च स्तरीय किया। हमेशा की तरह ही। कई दिनों बाद एक अच्छा आयोजन सुनने को मिला। आपको बहुत बधाइयां।प्रशांत योगीजी के आलेख पर आपने बहुत सटीक टिप्पणी की है। जितना गहरा उनका आलेख था उतनी ही गहराई लिए आपकी प्रतिक्रिया।
श्री विश्व मोहन तिवारी ने फेस बुक कल्चर पर अच्छा आलेख दिया है। और यहां भी आपने टिप्पणी बहुत शानदार की है। धनतेरस मुबारक हो..जयलोकमंगल
डाक्टर प्रेमलता नीलम
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