लुभावने बिम्ब और चित्र
हमारे आमंत्रण पर आते हैं
हमारे मेहमान होते हैं
हमारे ही घर में
घर के भेदी की सहायता से
करते हैं आक्रमण
हमारे ही मन पर
छा जाते हैं हर बार
हमारे दिलो दिमाग पर
हमें पता ही नहीं लगता
लगवाकर अँगूठा हमसे
गिरवी रख लेते हैं
हमारा घरबार
पर्दा डालते हैं हम खिड़कियों पर
कहीं धुँधला न कर दे प्रकाश
सतरंगी पर्दों पर नाचते
बिम्बों और चित्रों को
बन जाते हैं खुशी खुशी
बँधुआ मजदूर हम
नाचते
बिम्बों और चित्रों के
.... . . .. . . . . . . .. .. . .
विश्व मोहन तिवारी . एयर वाइस मार्शल . से नि .
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