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Friday, January 28, 2011


मंजू श्री जी को मेरा प्रणाम
आप का दर्शन आपकी रचना में विराजमान है । आपके शब्द आपकी साधना के अक्स
हैं.आपकी रचनाधर्मिता न सिर्फ विचारकों का मार्गदर्शन करने में सक्षम है बल्कि आपके
व्यक्तित्व और ओज को भी बयां करते हैं .इश्वर आप जैसे मानव के साथ ही होते हैं .आपकी कलम और लेखनी बरक़रार रहे.ढेर सारी शुभकामनायें।
आपका
अभिषेक मानव

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