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Thursday, January 20, 2011

जीर्णीणि वस्त्राणि यथा विहाय

शोक संवेदना-
आदरणीय बी.एल.गौड़ साहब के परिवार में एक नौजवान सदस्य की आकस्मिक मृत्यु के समाचार ने मन को बहुत व्यथित किया है। ईश्वर के निर्णय के आगे हम सभी विवश हैं। इस मर्मांतक संदर्भ में परिवार के सदस्य को प्रभु असीम धैर्य प्रदान करे..गीता में कॉष्ण कहते हैं जीर्णाणि वस्त्राणि यथा विहाय..पुराने वस्त्रों की तरह आत्मा शरीर बदलती है..
और हम सब दर्शक इसे विवश देखते रहते हैं..
पंडित सुरेश नीरव

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