अभिषेकजी! भगवान तो सदैव मानव के साथ ही रहता है और दानवों का विनाश करता है। जब-जब धर्म की हानि हुई है तब -तब भगवान ने प्रादुर्भाव लेकर धर्म को बचाया है और धर्म की रक्षा की है एवं मानवों का कल्याण किया है तथा दानवों का नाश किया है। और हाँ, जब मानव और भगवान के ऊपर सुरेश हों तब तो मानव का अभिषेक होगा ही। क्योंकि मानव का ही अभिषेक होता है , दानवों का नहीं। यही सनातन नीरवता (शब्दत्व, प्रभुत्व एवं सारस्वतत्व) है जिसका अनुपालन सभी चराचर करते हैं और यही मनुष्यता की जीवन्तता है। यही सत्य है जो सत्य है वही श्री है और जो श्री है वही सौरभ है एवं जो सौरभ है वही अभिषेक है और जो अभिषेक है वही मानव।
जय लोकमंगल।
भगवान सिंह हंस- m- 9013456949
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