गुस्से में एक ही ग़ज़ल दो बार पढ़ ( पोस्ट )डाली ! और नीचे "भजन " रेस्तरां का नाम देकर "तड़का " भी लगा दिया ! नाम तो तीन थे , आपको ही गुस्सा क्यों आया ? मैं मंजु ऋषी की सहजता का कायल हूँ ! नीलम जी की खामोशी भी sense of humor का परिचायक है ! मंजु ऋषी और डॉ नीलम दोनों ही अच्छी रचनाकार हैं ,और इतनी ही अच्छी इंसान भी ,मेरी सोच है ! रहा आपकी कृतियों का ,तो मैंने वो अपने छोटे से पुस्तकालय में मीर , ग़ालिब , फैज़ ,साहिर ,और बद्र के बराबर में रक्खी हैं ! आपकी लेखनी से मेरा साक्षात्कार हो चुका है , मैं आदर करता हूँ ! लेकिन रचनाओं और व्यक्तित्व में एक- रूपता नहीं ! परिभाषित मत कीजीये , व्यक्तित्व स्वयंम बोलेगा !
आपने ही कहा था कि आप की -बोर्ड पर स्वयंम को बहुत सक्षम नहीं पाती अतः नीरव जी को अपनी रचनाएं dictate करती रहतीं हें ! ज़ाहिर सी बात है ,पास -वर्ड उनके पास होगा , बस इतनी सी बात थी ! कलम तो नीरव है तेरी ,पल रहे कई और हैं ! को अंक गडित ना बनाएं ! अगर मैं गलत हूँ तो कम-स -कम बाकी दो का इशारा तो समझें ! छोटी-छोटी बातों पर खिन्न होंगी तो बहुत कम लोग रह जायेंगे वाह-वाह करने के लिए !
वाह, लाज़बाब शेर है ..........प्रशांत योगी
आपने ही कहा था कि आप की -बोर्ड पर स्वयंम को बहुत सक्षम नहीं पाती अतः नीरव जी को अपनी रचनाएं dictate करती रहतीं हें ! ज़ाहिर सी बात है ,पास -वर्ड उनके पास होगा , बस इतनी सी बात थी ! कलम तो नीरव है तेरी ,पल रहे कई और हैं ! को अंक गडित ना बनाएं ! अगर मैं गलत हूँ तो कम-स -कम बाकी दो का इशारा तो समझें ! छोटी-छोटी बातों पर खिन्न होंगी तो बहुत कम लोग रह जायेंगे वाह-वाह करने के लिए !
इस रूह की नरमी के कुछ सख्त तकाजो से|
ईमान बचाने को, ईमान से गुज़रे हैं||वाह, लाज़बाब शेर है ..........प्रशांत योगी
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