दमोह विश्वविद्यालय में विख्यात प्राध्यापक हैं। इन्होंने अपने पद का दायित्व ही नहीं निभाया बल्कि जब अपने इर्द-गिर्द आँचलिक या दूर दराज समाज एवं देश की टीस को देखकर नहीं रहा गया तो अपनी बात को शब्दों की मणिका गढ़कर या यों कहिए कि शब्दों को कविता में पिरोकर और अपना कलकल स्वर देकर अनेक अखिल भारतीय मंचों से जन-जन को रु-ब -रु कराया है और श्रोताओं ने अपनी करतल ध्वनि से उनकी विलक्षणता को अनुमोदित किया है। जब वे अपना काव्यपाठ करती हैं तो श्रोताओं में एक अजीव उत्साह एवं उत्सुकता दिखाई देती है। चारों ओर से तालिओं की खनखनाहट से आकाश भी गूँजने लगता है। उनकी कविता को सुनने के लिए श्रोतागण लालायित रहते हैं। डा० नीलामजी का मंच पर कविता पढ़ना एक अलग ही अंदाज है और वह अंदाज एक सही दिशा में होता है। वह अध्ययन ही एक उत्कृष्ट अध्यापन की पहिचान है। डा० साहिबाजी विश्वविख्यात कवयित्री हैं। उनकी वाणी में संवेदना का दर्द है आपने जो हिंदी साहित्य में उपलव्धि हासिल की है और जो स्थान बनाया है उसके लिए मैं आपको बार-बार बधाई देता हूँ एवं आपको प्रणाम करता हूँ। अमित हंस के बारे में आपका अंदाज सही है। वह एक मेनिजमेंट एजुकेशन एंड रिसर्च इंस्टीटयूट में सहायक प्राध्यापक है। उसकी मेनिजमेंट की दो पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं।
भगवान सिंह हंस
एम -9013456949
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