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Thursday, February 17, 2011

प्रधान मंत्री तो निरा भोन्दू है रे !!!!

ये कैसा सरदार है जो अपनी मज़बूरियां गिनाता है ????
बिना रीढ़ की हड्डी के हैं मनमोहन सिंह ??
यह प्रधानमंत्री कुर्सी चिपकू है ?


कल की मीडिया कांफ्रेंस से मनमोहन सिंह के प्रशसकों को एक बडा धक्का लगा है. भले ही सरकार घिसट घिसट के चल रही हो, भले ही अर्थशास्त्री प्रधान मंत्री के रहते महंगाई ने अपने सारे पुराने रिकोर्ड तोड़ दिये हों, भले ही संप्रग की सरकार को घोटालों की सरकार की संज्ञा दी जाती रही हो, कम से कम मनमोहन सिंह पर व्यक्तिगत रूप से कीचड़ कम ही उछाला गया था. ऐसा अब तक इसलिये हो रहा था क्यों कि मनमोहन जी ने अब तक अपना मुंह ही नहीं खोला था.

अब तो सारा मुलम्मा उतर गया. कलई खुल गयी और सारा का सारा भेद जग ज़ाहिर हो गया. अब तो कुछ भी छिपा नहीं रह गया. क्यों कि खुद प्रधान मंत्री जी ने सरेआम स्वीकार कर लिया कि उनके रीढ़ की हड्डी ही नहीं है.

देश गर्त में जाये तो जाये, सरकार में उनके मातहत मंत्री अरबों खरबों का चूना देश को लगा कर अपने खज़ाने भरते रहें , आम आदमी पिसता रहे, मगर मनमोहन जी चुप थे, चुप हैं और चुप रहेंगे क्योंकि ....”मैं नहीं चाहता कि सरकार गिर जाये और दुबारा चुनाव कराना पडे”

अरे भाई साफ साफ कहो न कि हम कुर्सी चिपकू हैं ,कुर्सी छोडेंगे नहीं , कुछ करेंगे भी नहीं. देश भाड़ में जाता है तो जाये. .... क्यों कि मैं कुछ बोलूंगा तो ..सरकार गिर जायेगी... मेरी गद्दी चली जायेगी. चुनाव करवाना पडेगा...

मैं तो गठबन्धन को बचाने के लिये प्रधानमंत्री बनाया गया हूं. मेरी आका ने कहा कि चाहे कुछ .... हां हां चाहे कुछ भी कीमत चुकाना पडे, सरकार नहीं गिरना चाहिये.
देश भाड़ में जाता है तो जाये.....
आदमी मरता है तो मरे... मेरी सरकार के मंत्री दोनों हाथों से देश को लूट रहे हों तो लूटें..
मैं चुप रहूंगा.... मैं चुनाव नहीं होने दूंगा.... गठबन्धन की मज़बूरी जो है...
मुझे दोष मत दो ... मैं भ्रष्टाचार नहीं देख पा रहा तो क्या हुआ? मैं क्या करूं अगर मेरे मंत्री देश लूट रहे हैं? गठबन्धन की सरकार है ना.... क्या आप य छोटी सी बात भी नहीं समझते ?


क्या कहा? मैं भोन्दू हूं ? मेरी रीढ़ की हड्डी नहीं हैं ?

कुछ भी कह लो ... मैं नहीं हटूंगा..... मैं गद्दी नहीं छोडूंगा ... जै हिन्द... जै हिन्द ... जै गठबन्धन ... जै माता दी.

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