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Saturday, February 26, 2011

धीरे-धीरे इशु मेरे दिल पे छा रहा है।

पंडित सुरेश नीरवजी,
आपका ये इशु तो गजब ढा रहा है।
हम सारे जयलोकमंगलियों को
पंजा दिखा रहा है
कभी जाम पी रहा है
कभी बोतल दिखा रहा है
और हर बार मधुशाला के
नए कलाम ला रहा है
धीरे-धीरे इशु मेरे दिल पे छा रहा है।
डॉक्टर प्रेमलता नीलम

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