यह मंच आपका है आप ही इसकी गरिमा को बनाएंगे। किसी भी विवाद के जिम्मेदार भी आप होंगे, हम नहीं। बहरहाल विवाद की नौबत आने ही न दैं। अपने विचारों को ईमानदारी से आप अपने अपनों तक पहुंचाए और मस्त हो जाएं हमारी यही मंगल कामनाएं...
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Tuesday, February 22, 2011
"बात उल्लू ने कही गुस्सा गधे को आ गया.."
बात नीरव ने कही मजा हम सब को आ गया ॥
यह तो दिव्य गुण है क़ि पाप से भी घृणा न करो..
योगी जी का धन्यवाद
किन्तु प्रश्न उठता है क़ि पाप से फिर क्या करें?
यदि प्रेम और पाप केवल दी ही संवेदनाएं हों तब तो कठिनाई हो जाएगी
एक तीसरी स्थिति भी है
निष्काम रहते हुए पापी को
साम दाम दंड भेद से ठीक करो ..
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