होरी है रे होरी है ,
आज ब्रज में होरी है ,
रंग में भीगी गोरी है,
पौरी है या खोरी है,
पिचकारी भर पोरी है,
होरी है रे होरी है ,
प्रशांत कहें,सोरी है ,
होरी है रे होरी है ,
नीरव से क्यों मुख मोरी है
नवरंगरस में तू बोरी है
ब्रज की तू छोरी है,
परमार संग किशोरी है।
होरी है रे होरी है।
मकबूल कहें,
सहज डारूं,
पिचकारी भरी थोरी है
रंग दूं वासंती चोली
अभी तो कोरी है।
सरर सरर पिचकारी छोड़ी ,
भीगी सर्व निगोरी है,
होरी है रे होरी है ,
राजू, रमा, पथिक हुरियारे
खेलत करें ठिठोरी है
आ इत न तनिक
तू हुरियारी
अभी कोरी है ,
भर पिचकारी चोली मारी
होरी है रे होरी है .
भगवान सिंह हंस
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