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Sunday, March 6, 2011

बे शर्म लतीफ़ों से , मत भ्रष्ट करो इनको

ग़ज़ल

बदनाम डगर है वो ,उस ओर न जाओ तुम
इंसान बनो जिससे , उस राह पे आओ तुम

अपराध किया है जो, एहसास करो उसका
मत गीत चुराओ तुम, मत शे`र चुराओ तुम

ख़ुद ग्रेट कहा ख़ुद को ,स्टार कहा ख़ुद को
कविताएँ लिखो पहले फिर टैग लगाओ तुम

बे शर्म लतीफ़ों से , मत भ्रष्ट करो इनको

यदि गीत ,ग़ज़ल हों तो, उनको ही सुनाओ तुम

अफ़सोस नये लड़के , बर्बाद किये तुमने
कुछ राह दिखाओ तुम , कवि धर्म निभाओ तुम 

- - नित्यानंद `तुषार`

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