यह मंच आपका है आप ही इसकी गरिमा को बनाएंगे। किसी भी विवाद के जिम्मेदार भी आप होंगे, हम नहीं। बहरहाल विवाद की नौबत आने ही न दैं। अपने विचारों को ईमानदारी से आप अपने अपनों तक पहुंचाए और मस्त हो जाएं हमारी यही मंगल कामनाएं...
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Thursday, April 21, 2011
कविता " नागरिक "
जब वह गाँव से चला था तो अच्छा भला आदमी था सूना है कि अब वह शहर में आकर नागरिक बन गया है
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