चार कदम रहे गया किनारा
अभी यहाँ कीचड़ भी होगा
पाँव लताओं मैं उलझेंगे
चप्पल पाँव से फिसलेगी
लेकिन तट पर पहुचेंगे ही
अब तो यारा कूद नाओं से
पार उतरकर , वही पसर कर
सोचेंगे ये केसे पार कई है धरा
तुमने हर पग दिया सहारा
मैं भी हिम्मत कभी न हारा
चार कदम रहे गया किनारा
ये भी पार करेंगे यारा
अभी यहाँ कीचड़ भी होगा
पाँव लताओं मैं उलझेंगे
चप्पल पाँव से फिसलेगी
लेकिन तट पर पहुचेंगे ही
अब तो यारा कूद नाओं से
पार उतरकर , वही पसर कर
सोचेंगे ये केसे पार कई है धरा
तुमने हर पग दिया सहारा
मैं भी हिम्मत कभी न हारा
चार कदम रहे गया किनारा
ये भी पार करेंगे यारा
विपिन चतुर्वेदी २६ जून २०११, ऋषिकेश
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