भिंड के कवि सम्मलेन के बारे मैं बहुत कुछ लिखा था । कोम्पुतोर्जी को शायद पसंद नहीं आया और वह छापा ही नहीं । भिंड की तहसीलें हैं, गोहद और लहार। गोहद मेर्री जन्मभूमि है। २६जुन १९३१, तदनुसार आषाढ़ कृष्णा सप्तमी को मेरा *इस जग मैं प्रादुर्भाव हुआ था। *
लहार तहसील मैं अटेर का प्रसिद्ध किला है। वहीँ पर चौबों का प्रसिद्ध गाँव तरसोखर है।
इस बारे में अन्य चर्चा फिर ।
श्री अरविन्द , आपका समाचार फ़ोन पर आज मिला। मोबाइल का सिस्टम आज काम नहीं कर रहा । वैसे आपको प्रसन्नता होगी, में आज बिस्मिल की ग़ज़ल गुनगुना रहा था, नहीं शायर में उन ऐताश बद्खूं बादशाहों का। नहीं शायर में ------क़ज कुलाहों का .. में शायर उनका हूँ जिन्हें ज़माने ने सताया है । बहुत खुश हो हो के दिल जिनका ज़माने ने दुखाया है।
और तब भी बिस्मिल याद थे जब ऋषिकेश -देहरादून की मसरुफियात आज शवाब पर थी। आई एम् ए की परेड, प्रतिभादेवी की उपस्थिति, बाबा रामदेओ का अनशन ,वह भी हमारे अस्पताल में , ऋषिकेश के एक मशहूरो मारूफ आदमी को हाथियों ने शहर के पास मार डाला।
ऐसे ही कभी कभी याद कर लिया करें
विपिन चतुर्वेदी
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