बहुत अकेली थीं राहें पर ,
हमराही जब आन मिला
हमराही जब आन मिला
बुझा हुआ आशा का दीपक ,
ज्योति पुंज बन पुनः जला
ज्योति पुंज बन पुनः जला
पतझड़ कि आंखों के आंसू ,
पीकर नव पल्लव फूटे
पीकर नव पल्लव फूटे
हरियाली के आगे ,
वीराने मौसम पीछे छूटे
वीराने मौसम पीछे छूटे
डाल -डाल पर महकी परिमल ,
डाल -डाल पर फूल खिला
डाल -डाल पर फूल खिला
मदमाया घन सघन गगन ,
जब पावस की पाती पाई
वसुधा क्षुधा असीम भरे ,
लोचन से लखती ललचाई
लोचन से लखती ललचाई
दूर क्षितिज पर मिलन कल्पना
से मन प्रेम मगन मचला
घनश्याम वशिष्ठ
से मन प्रेम मगन मचला
घनश्याम वशिष्ठ
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