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Friday, July 1, 2011

Chintan


नदियों, उपजाऊ खेतों एवं वीरों की भूमि पंजाब धीरे-धीरे अपनी विशेषता खोती जा रही है। नशे ने इन्हें अक्षम बना दिया है। खाद व रसायनों से भूमि बंजर होती जा रही है। नए साधन सुलभता ने इन्हें अकर्मण्य बना दिया है और कमाने के लिए विदेश जाने के मोह ने कई स्थानों पुरूष विहीन कर दिया है। कन्या भू्रण हत्या ने सामाजिक विकृति ला दी है।
धन है, सम्पन्नता है पर खेतों में काम करने या घर में साथ देने पुरूष परिजन नहीं हैं। खेत वृक्ष विहीन एवं गांव शहर संस्कृति शून्य हो रहे हैं। भांगड़ा, गिद्धा का आम दृश्य अब दुर्लभ हो गया है। सप्तरंगी संस्कृति से समृद्ध पंजाब की उजली तस्वीर धीरे-धीरे धुंधली या काली पड़ने लगी है। पंजाब की वर्तमान स्थिति चिंतनीय है पर सब प्रतिक्रिया शून्य व मौन हैं।
लगभग पचास हजार वर्ग किलोमीटर में फैला पंजाब राज्य बीस जिलों में बंटा है। दो करोड़ तैंतालिस लाख से ऊपर की आबादी है जो लगभग सत्तर प्रतिशत साक्षर है। यहां की चालीस प्रतिशत आबादी शहरों में बसती है किंतु राज्य अब भी पूर्णतः कृषि व्यवसाय प्रधान है। यहां के खेत नदियों व बांघांे की बहुलता के कारण पूर्ण सिंचित हैं।

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