पंडित सुरेश नीरव
श्री भगवान सिंह हंस
आज आपने मेरे
व्यंग्य पर जो टिप्पणी की है उसे पढ़कर मज़ा आ गया। आप भी धीरे-धीरे व्यंग्यकार
होते जा रहे हैं। मुझे उम्मीद है कि जयलोकमंगल के साथी शीघ्र ही भगवानसिंह हंसजी
को एक कुशल व्यंग्यकार के रूप में देखेंगे। मेरी शुभकामनाएं..
No comments:
Post a Comment