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Tuesday, August 23, 2011

अन्ना ही अन्ना

इधर अन्ना, उधर अन्ना 
हर जुवां पै देखता हूँ
अन्ना  ही अन्ना 
टोपी पै अन्ना, कुर्ता पै  अन्ना
हर  धोती   पै देखता हूँ
अन्ना ही अन्ना
माथे पै अन्ना, पलक पै अन्ना
हर गाल पै देखता हूँ
अन्ना  ही अन्ना
बिंदी पै अन्ना,सुर्खी पै अन्ना
हर मांग  पै देखता हूँ
अन्ना ही अन्ना
गली में अन्ना, सडक पै अन्ना
हर मोड़ पै देखता हूँ
अन्ना ही अन्ना
दोस्त भी अन्ना,दुश्मन भी अन्ना
हर इन्सान को  देखता हूँ
अन्ना ही अन्ना
दीपक में अन्ना, लौ में अन्ना
हर  मशाल में देखता हूँ
अन्ना ही अन्ना
घर में अन्ना, कमरे में अन्ना
हर आँगन में देखता हूँ
अन्ना ही अन्ना
अन्तः में अन्ना,मन में अन्ना
हर दिल में देखता हूँ
अन्ना ही अन्ना
पान में अन्ना, खान में अन्ना
हर दान में देखता हूँ
अन्ना ही अन्ना
सिर भी अन्ना, भुजा भी अन्ना
हर जंघा को देखता हूँ
अन्ना ही अन्ना
बोल में अन्ना, शोर  में अन्ना
हर चुप्पी में देखता हूँ 
अन्ना  ही अन्ना
जमीं पै अन्ना, गगन पै अन्ना  
हर क्षितिज पै देखता हूँ
अन्ना ही अन्ना
नर भी अन्ना,नारी भी अन्ना
हर बाल को देखता हूँ
अन्ना ही अन्ना
तू भी अन्ना ,मैं भी अन्ना
भारत को देखता हूँ
अन्ना ही अन्ना
शान में अन्ना, वान में अन्ना
हर तिरंगे में देखता हूँ  
अन्ना ही अन्ना
ऐसी कोई जगह नहीं जहाँ न हो अन्ना
मेरे शत-शत नमन तुमको
अन्ना ही अन्ना

भगवान सिंह हंस




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