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Thursday, September 1, 2011


बद नसीबी  के जो  हमसे  तार  जुड़  गए 
नजदीक आ रहे थे  अचानक वो  मुड गए
ऐसे में भला  क्यूँ करें  उनसे ही हम गिला 
पतझड़ जो आया शाख से पंछी भी उड़ गए

घनश्याम वशिष्ठ

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