सरकार ने फिर बिना कुछ कहे-सुने पेट्रोल की कीमत फिर बढ़ा दी। अब तो लोग साईकिल युग में जाने को विवश हो रहे हैं। ये बात और है कि साइकिल चलाने के लिए दिल्ली में सड़के नहीं है। फुटपाथ पर दुकानें लगी हुई हैं। इसलिए पैदल चलना भी दूभर है। रेल के किराए भी बस बढ़ा चाहते हैं। अब कोई बताए कि आम आदमी कहां जाए और कैसे जाए। मेरे खयाल से सरकार चाहती है कि आदमी भाड़ में जाए. और दूर-दूर तक भाड़ मिलेंगे नहीं इसलिए पहले अपने घर को ही भाड़ बनाए.। मुश्किलों का पहाड़ बनाए। चुप रहे। तिल का ताड़ न बनाए।
पंडित सुरेश नीरव
पंडित सुरेश नीरव
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