
माननीय डॉक्टर अरविंद चतुर्वेदीजी,
आपको ऐतिहासिक कविसम्मेलन में कविता पाठ हेतु बधाई। आपका में अकिंचन प्रशंसक हूं। और एक छोटी-सी पत्रिका का संपादक भी हूं। आपके साथ कई बार कवितापाठ भी किया है। आप से विनम्र अनुरोध है कि आप जो कहते हैं लोग उसे गंभीरता से लेते हैं। भले ही हास्यसम्राट-जैसे संबोधन ही सही। अच्छा हो कि आप रिपोर्टिंग में हास्य का इतना गंभीर प्रयोग न किया करें। वरना हम-जैसे लोगों को परेशानी होती है क्योंकि हास्यरसावतार या हास्य सम्राट-जैसे संबोधन जगन्नाथ प्रसाद चतुर्वेदी और काकाहाथरसी को ही लोक और साहित्य ने दिय़े हैं। मेरा कोई पूर्वाग्रह उनके लिए भी कतई नहीं है जिन्हें आपने यह संबोधन दिया है। अगर मेरी बात आपको पसंद न हो तो मुझे माफ करें। मैं कोई विवाद पैदा करने की मंशा से यह बात नहीं कह रहा हूं। इसे एक सुझाव ही मानें..।आपका शुभचिंतक
मुकेश परमार
संपादकः संस्कार सारथी
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