आज तो लोकमंगल पर खासी रौनक है .रजनीकांत राजू का जानदार अंदाज और राजमणि के शानदार दोहे .उपलब्धी हैं .कल अभिषेक मानव ने होसला बढाया.उनका भी धन्यवाद.आज आपकी सेवा में आज श्रीकांत सिंह जोकि शानदार कवि हैं की एक कविता दे रहा हूँ ,आशा है पसंद आएगी.---
नायिका ने बयान
की अपनी ज़वानी
उसने कहा
यह तेरे हाथ नहीं
आनी
मैं भी चाहता हूं,यह किसी के हाथ ना आये
क्योंकि यदि यह
किसी के हाथ आयेगी
वैसे नायिके--
जिसे तुम ज़वानी
कहती हो
वह ज़वानी नहीं
तमाशा है
और मेरे अल्फाज़ों
मे
सामाजिक विस्फोट
की परिभाषा है
अरे ज़वानी--
तो भूगोल बदल
देती है
इतिहास रचाती है
हर कारा को तोड
देती है
वह नया रास्ता
दिखाती है
अरे ज़वानी,ज़वानी वह है ज़िसने भारतमाता को
दासता की बेडियों
से मुक्ति दिलायी
जिसने अंग्रेज़ों
से कभी मुंह की नहीं खायी
अरे ज़वानी वह है
जिसने अपने पुत्र का
अरे ज़वानी वह है
जिसने बांग्लादेश का निर्माण करा दिया
जवानी वह है
जिसने बोझ उठाकर देस को ओलम्पिक मे पहला पदक दिला दिया
ज़वानी वह है
जिसने राष्ट्र मंडल खेलों में भारतमाता की लाज़ को बचाया,
ऐसी ज़वानियों को
याद करने की ज़रूरत है
उन्हे प्रणाम
बार- बार है
और नायिके जिस
ज़वानी का तू
कर रही है ज़िक्र
उसको शत बार
धिक्कार है
कर रही है ज़िक्र
उसको शत बार
धिक्कार है।
नायिका की जवानी
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