एक अच्छा शासक प्रजा
को त्योहारों पर ऐसे तोहफे देता है जिसे पाकर जनता कम-से-कम एक दिन तो अपने गम भूलकर
उत्सवधर्मी मानसिकता में आ जाती है। हमारी सरकार ने मंहगाई की आग में झुलसती जनता
को त्योहार के मौके पर लोन मंहगे करके अपनी संवेदनशीलता का एक और अनुपम उदाहरण
दिया है। फिर भी जनता का हौंसला है कि वह भ्रष्टाचार के इस अंधेरे में भी उम्मीद
के दिए बालने का दमखम रखती है। फिर भी इस असहज दौर में आइए आज हम उन्हें भी याद करें जिन्होंने इस देश की
आजादी की मशाल को अपने खून से रोशन किया था। और जिनके घरों में दिया जलानेवाला कोई नहीं रहा। क्या हजारों दिये जलानेवालों के मन में इनका भी खयाल आता है।
दीवाली मुबारक हो..। इंकलाब जिंदाबाद
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