कल रायटर्स डेस्क नोएडा जोकि प्रसिद्ध फिल्मकार योगेश मिश्र का कार्यालय है ,पर दीपावली और भैय्या-दूज़ के उपलक्ष में एक कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया।इस कार्यक्रम में पं० सुरेश नीरव (वरिष्ठ कवि ,चिंतक एवं पत्रकार),कृष्ण कल्पित(उपमहानिदेशक दूरदर्शन),पीयन सिंह(दूरदर्शन के कनिष्ठ अधिकारी),योगेश मिश्र (फिल्म प्रोड्यूसर एवं कवि),योगेश मिश्र के निज़ी सहायक अनुज तथा मैं अरविंद पथिक भी शामिल हुआ।
कार्यक्रम की उपलब्धि रही कृष्ण कल्पित और योगेश मिश्र की कवितायें।पीयनसिंह द्वरा योगेश मिश्र से अलग से मिलने की बात पर पं० सुरेश नीरव नाराज़ हो गये और उन्होने काव्य पाठ नहीं किया।पीयनसिंह ने मैथिली को भाषा बताया जिस पर मैने(अरविंद पथिक) भाषा में लिपि की अपरिहार्यता पर बल दिया इससे पीयनसिंह मुझसे भी नाराज़ हो गये पर वे अंत तक भाषा और बोली का अंतर स्पष्ट नहीं कर पाये।उन्होनें मुझ पर कुछ न पढने लिखने और "टीचर' होने का आरोप लगाने के साथ ना जाने किन भावनाओं से प्रेरत होकर कई अनर्गल आरोप मढ दिये।जिनका उ्लेख करना मैं उचित नहीं समझता।
कुल मिलाकर एक बेहद खूबसूरत शाम का रंग कुछ फींका हो गया।अंत मे योगेश मिश्र ने स्मृति चिह्न भी दिये।मैं योगेश मिश्र की सज्ननता को प्रणाम करते हुए वहां हुए विवाद का हिस्सा अनायास ही बन जाने के कारण अफसोस जाहिर करता हूं।
कार्यक्रम की उपलब्धि रही कृष्ण कल्पित और योगेश मिश्र की कवितायें।पीयनसिंह द्वरा योगेश मिश्र से अलग से मिलने की बात पर पं० सुरेश नीरव नाराज़ हो गये और उन्होने काव्य पाठ नहीं किया।पीयनसिंह ने मैथिली को भाषा बताया जिस पर मैने(अरविंद पथिक) भाषा में लिपि की अपरिहार्यता पर बल दिया इससे पीयनसिंह मुझसे भी नाराज़ हो गये पर वे अंत तक भाषा और बोली का अंतर स्पष्ट नहीं कर पाये।उन्होनें मुझ पर कुछ न पढने लिखने और "टीचर' होने का आरोप लगाने के साथ ना जाने किन भावनाओं से प्रेरत होकर कई अनर्गल आरोप मढ दिये।जिनका उ्लेख करना मैं उचित नहीं समझता।
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