कलम की बात करते
हैं वतन कि बात करते हैं
हम अब भी
गुलिस्तां की चमन की बात करते है
रंज़-ओ-गम है मगर
हमने अभी आपा नहीं खोया
इस दौर-ए-दहशत
में भी हम अमन की बात करते हैं
अमन की बात करते
हैं, मगर कायर नहीं हैं हम
सूखे नहीं आंसू-------------------- आंखे अभी हैं नम
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