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Wednesday, November 9, 2011


जय बद्रीनाथ की ---
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आदरणीय नीरव जी ,
नमन --
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कविता करना या तीर्थ करना
दोनों पुन्य का कार्य है ,यदि
दोनों एक साथ हो जायतब
इसेही सोने में सुहागा ''
कहते हैं ------------------
बुजर्गों के आशीर्बादसे ,आप
जेसे उदारमना ,व्यक्तित्वों
के सानिध्य में कविता के साथ ही
तीर्थस्थली बदरीनाथजी के दर्शन क़ा
उम्मीद से दुगना सुख प्राप्त हुआ ....---
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आभार ।---
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प्रकाश प्रलय कटनी .....----
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तीर्थीयकाव्य यात्रा के कवि मित्र
डॉशंकर सहर्ष ,श्यामल मजुमदार ,
संतोष इंकलाबी ,अशोकपटेल ,आप स्वयं
बधाई के पात्र हैं .....---------
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प्रकाश प्रलय कटनी ----
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गुरु नानक जयंती पर हार्दिक शुभकामनाये -------------
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१०/११/२०११
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