यह मंच आपका है आप ही इसकी गरिमा को बनाएंगे। किसी भी विवाद के जिम्मेदार भी आप होंगे, हम नहीं। बहरहाल विवाद की नौबत आने ही न दैं। अपने विचारों को ईमानदारी से आप अपने अपनों तक पहुंचाए और मस्त हो जाएं हमारी यही मंगल कामनाएं...
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Monday, November 14, 2011
रबर की रीढ़वाले
भाई पथिकजी,
रबर की रीढ़वाले लोगों के सम्मान में आप की रचना पढ़ी। रबर की रीढ़ का मतलब हुआ कि उनके रीढ़ तो है। केंचुओं में भी आप रीढ़ तलाश लेते हैं यह आपका हैरतअंगेज हुनर है। आजका आदमी तो केंचुअत्व को प्राप्त हो चुका है। आपको प्रणाम..
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