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Thursday, December 15, 2011

आज १६ दिसंबर है क्या खास है आज,कुछ याद आया? नही,१६ दिसंबर १९७१ को आज के ही दिन हमने नया इतिहास रचकर दुनिया के नक्शे पर एक नये देश का निर्माण किया था जिसे हम बांग्लादेश कहते हैं।१९७१ के वीरों के लिये हमने आखिर क्या किया? हम तो संसद को अपनी जान देकर बचाने वालों के लिये भी कुछ कर नहीं पाये। कुछ वर्ष पूर्व तक दिल्ली में गणतंत्र दिवस कवि सम्मेलन की तरह ही हिंदी अकादमी १६ दिसंबर को विजय दिवस कवि सममेलन का आयोजन करती थी।परंतु जनार्दन द्विवेदी के हिंदी अकादमि का उपाध्यक्ष बनते ही सर्वप्रथम वह कार्यक्रम बंद किया गया। शायद यह सोचकर कि राष्ट्रवादी सोच वाले सभी व्यक्ति बी०जे०पी० के कार्यकर्ता होते हैं ऐसा करते समय वे यह भूल गये कि १९७१ की विजय का श्रेय इंदिरा गांदी को है ना कि बी०जे०पी० को।कांग्रेस के इन अति बुद्धिमान नेताओं को ईश्वर यह सदबुद्धि न जाने कब देगा कि सरदार पटेल,सुभाषचंद्र बोस और समस्त क्रांतिकारी व्यक्ति्व जो किसी ना किसी रूप मे आज़ादी से पूर्व कांग्रेस से संबद्ध थे आज उनकी मेहरबानी से बी०जे०पी० की झोली में जा चुके है।इन नेताओं के कारण ही देशभक्त कवि,पत्रकारऔर वे सभी स्वतंत्रचेत्ता विचारक जो किसी भी पार्टी का भोंपू बनने को तैयार नहीं हैं जाने अनजाने बी०जे०पी०से स्वयं को जुडा पाते हैं।हमारे और आप जैसे सामान्य बुद्धि के लोगों को जब यह बात समझ में आती है ,तो इन महान विचारक नेताओं को क्यों नहीं?

आज १६ दिसंबर है क्या खास है आज,कुछ याद आया? नही,१६ दिसंबर १९७१ को आज के ही दिन हमने नया इतिहास रचकर दुनिया के नक्शे पर एक नये देश का निर्माण किया था जिसे हम बांग्लादेश कहते हैं।१९७१ के वीरों के लिये हमने आखिर क्या किया?  हम तो संसद को अपनी जान देकर बचाने वालों के लिये भी कुछ कर नहीं पाये। कुछ वर्ष पूर्व तक दिल्ली में गणतंत्र दिवस कवि सम्मेलन की तरह ही हिंदी अकादमी १६ दिसंबर को विजय दिवस कवि सममेलन का आयोजन करती थी।परंतु जनार्दन द्विवेदी के हिंदी अकादमि का उपाध्यक्ष बनते ही सर्वप्रथम वह कार्यक्रम बंद किया गया। शायद यह सोचकर कि राष्ट्रवादी सोच वाले सभी व्यक्ति बी०जे०पी० के कार्यकर्ता होते हैं ऐसा करते समय वे यह भूल गये कि १९७१ की विजय का श्रेय इंदिरा  गांदी को है ना कि बी०जे०पी० को।कांग्रेस के इन अति बुद्धिमान नेताओं को ईश्वर यह सदबुद्धि न जाने कब देगा कि सरदार पटेल,सुभाषचंद्र बोस और समस्त क्रांतिकारी व्यक्ति्व जो किसी ना किसी रूप मे आज़ादी से पूर्व कांग्रेस से संबद्ध थे आज उनकी मेहरबानी से बी०जे०पी० की झोली में जा चुके है।इन नेताओं के कारण ही देशभक्त कवि,पत्रकारऔर वे सभी स्वतंत्रचेत्ता विचारक जो किसी भी पार्टी का भोंपू बनने को तैयार नहीं हैं जाने अनजाने बी०जे०पी०से स्वयं को जुडा पाते हैं।हमारे और आप जैसे सामान्य बुद्धि के लोगों को जब यह बात समझ में आती है ,तो इन महान विचारक नेताओं को क्यों नहीं?

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