भरत चरित्र महाकाव्य से कुछ प्रसंग आपके दर्शनार्थ--
पीड़ित इल गया उमा पासा | देख उमा ने यों फिर भाषा ||
आधा भाग है महादेवा | आधा भाग देख मम सेवा ||
फिर वह पीड़ित राजा उमा के पास गया | उसको देखकर उमा ने कहा, "हे राजा! आधा भाग महादेव का है और आधा भाग मेरी सेवा का है | ''
सो आधा वर कर स्वीकारा | समय का और करो उचारा ||
एक एक मास इल ने उचारा | सो उमा ने किया स्वीकारा ||
इसलिए हे राजन! आधा वर स्वीकार करो | उमा ने कहा कि समय के लिए और बताओ | राजा इल ने एक-एक मास मांगा यानी एक मास पुरुष और एक मास स्त्री | वह भी उमा ने स्वीकार कर लिया |
इल राजा का एक मास स्त्री, एक मास पुरुषरूप |
त्रिभुवन में सुन्दर नारि , मोहित हों सब भूप | |
इसलिए वह इल राजा एक मास पुरुष और एक मास स्त्री बनकर रहता था | जब वह स्त्रीरूप में रहता था तो उसके समान त्रिभुवन में कोई स्त्री नहीं होती थी | उस पर सब राजा मोहित होते थे |
एक दिव्यसरोवर वन प्रान्ता | जल में वपु तेजस्वी नितान्ता ||
सोम पुत्र बुध तप संलग्ना | इला बिलोक हुई बहु मग्ना ||
उस वन प्रदेश में एक दिव्य सरोवर था | उसके जल में भीतर एक तेजस्वी शरीर तप कर रहा था | वह सोमदेव का पुत्र बुध तप में संलग्न था | उसको देखकर इला बहुत प्रसन्न हुई |
प्रस्तुति--
योगेश
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